विधा :- स्वंतत्र
इत्र सी होती है मित्रता
सब रिश्तों की पूर्ती
होती है मित्रता .....
जहाँ सब छोड़ जाते हैं
वहां आ खड़ी होती है मित्रता
कठिन से कठिन समय
भी मुस्कुराना सिखाती है मित्रता .........
करण का त्याग व
अर्जुन सा विश्वास
सुदाम कृषण सा
भाव है मित्रता ........
रोने के लिए कन्धा
ख़ुशी में खिलखिलाहटें
देती है मित्रता .................
असल मायने में
तो यही है मित्रता
बात और है लोग
अपने अनुसार गढ़
लेते हैं मित्रता ..........
खुशनसीब होंगे वो लोग
जिन्हें सही मायने में
आज के समय में मिल
जाए सच्ची मित्रता
इत्र सी होती है मित्रता
सब रिश्तों की पूर्ती
होती है मित्रता .....
जहाँ सब छोड़ जाते हैं
वहां आ खड़ी होती है मित्रता
कठिन से कठिन समय
भी मुस्कुराना सिखाती है मित्रता .........
करण का त्याग व
अर्जुन सा विश्वास
सुदाम कृषण सा
भाव है मित्रता ........
रोने के लिए कन्धा
ख़ुशी में खिलखिलाहटें
देती है मित्रता .................
असल मायने में
तो यही है मित्रता
बात और है लोग
अपने अनुसार गढ़
लेते हैं मित्रता ..........
खुशनसीब होंगे वो लोग
जिन्हें सही मायने में
आज के समय में मिल
जाए सच्ची मित्रता
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" सोमवार 11 जनवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteआभार Yashoda Agarwal जी
ReplyDeleteआभार Yashoda Agarwal जी
ReplyDeleteशानदार रचना
ReplyDeleteआभार संजय भास्कर जी
ReplyDeleteBahut khoob
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