आज पुराने सामान को खंगालने बैठी
तो जैसे अतीत में खो गई !
छोटे छोटे मोजे. कुरते , और न जाने क्या क्या
जैसे कुबेर का खजाना हाथ लग गया हो
खिलोने को देख कर जैसे फिर से जी उठी हूँ
लवों पैर स्वयता मुस्कुराहट आ गई
खो गई तुम लोगों के बचपन में
आज तो तुम कहते हो , आपको कुछ नहीं पता
याद आ गया वो ज़माना जब पग
भी पूछ के धरते थे , माँ की सिवा किसी पे भरोसा न था
वो जमीं से निकले नन्हे पौधे की तरह सुकोमल
अक्ष याद आ गया , अब तो तुममजबूत बृक्ष हो
तभी हाथ से खिलौना गिरा , और वर्तमान में आ गई
अब यह तो बस यादों के बक्सों में बंद रहेंगे
तो जैसे अतीत में खो गई !
छोटे छोटे मोजे. कुरते , और न जाने क्या क्या
जैसे कुबेर का खजाना हाथ लग गया हो
खिलोने को देख कर जैसे फिर से जी उठी हूँ
लवों पैर स्वयता मुस्कुराहट आ गई
खो गई तुम लोगों के बचपन में
आज तो तुम कहते हो , आपको कुछ नहीं पता
याद आ गया वो ज़माना जब पग
भी पूछ के धरते थे , माँ की सिवा किसी पे भरोसा न था
वो जमीं से निकले नन्हे पौधे की तरह सुकोमल
अक्ष याद आ गया , अब तो तुममजबूत बृक्ष हो
तभी हाथ से खिलौना गिरा , और वर्तमान में आ गई
अब यह तो बस यादों के बक्सों में बंद रहेंगे
बहोत-सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद Daisyji
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