Saturday, July 28, 2012

ये रास्ते

रास्ते 
                                         
                                          
कहाँ से चले थे कहाँ आ पहुंचे
जाना था किधर यहाँ कैसे आ पहुंचे
यह रास्ते कब बदल गए कहीं हमने तो नहीं राह बदल ली
बस यही सोच के गम हूँ में भटक गई की राह उलझ गई 

9 comments:

  1. बस चलते जाना है हमें रमा

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  2. जीवन के रास्तें है बड़े पेचीदा......
    मगर हां चलते जाएँ तो मंजिल मिल ही जाती है...
    सुन्दर भाव आशा जी.

    अनु

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  3. यह रास्ते कब बदल गए कहीं हमने तो नहीं राह बदल ली...

    अगर ये परिवर्तन न हो तो ज़िन्दगी नीरस लगे ....!!

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    1. धन्यबाद हरकीरत जी
      सही कहा आपने

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